भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
अपने दुश्मन हाथ मलते रह गए,गए।
हम तो ग़म हँसते-हँसाते सह गए।
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits