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बादल हुए हैं मस्त ये मौसम तो देखिए।
कागज़ काग़ज़ गया है फूल सियाही बिखर गई,
निब की हुई शिकस्त ये मौसम तो देखिए।
सब हो गए हैं ध्वस्त ये मौसम तो देखिए।
यूँ बादलों से हो गई जुगनूँ जुगनू की साठ-गाँठ,
तारे हुए हैं अस्त ये मौसम तो देखिए।
</poem>
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