1,252 bytes added,
23 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वैभव भारतीय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जीवन क्या है
प्रश्न विकट है
ये मृत्यु के परम निकट है।
कोई मदमाता-सा पक्षी
अंधड़ तूफ़ानों में घिरकर
पत्थर जैसी बारिश सहकर
भूखा रहकर, प्यासा रहकर
चक्रवात से चोंच लड़ाए
प्रलय-काल को धता बताये
तब यह शब्द अर्थ लेता है
जीवन परिभाषित होता है।
कोई नौसिखिया बचपन में
मठाधीश पंडों के आगे
प्रेम दया मानवता ख़ातिर
दुनिया के सारे तर्कों को
दुनिया की सारी गणना को
पल भर में बकवास बताये
तब यह शब्द अर्थ लाता है
जीवन फिर जीवन पाता है।
</poem>