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<poem>
सब अंधियारा मिट जाएगा
अंधियारे में देखो घुसकर
तुम ब्रह्मांड विजेता होगे
हारो सबकुछ किसी चीज़ पर।

ये दुनिया का दायाँ बायाँ
हर पल ही रंग बदलता है
उजियाले सूरज का गोला
कालिख इक रोज़ उगलता है।

सब नज़रों का ही खेल रहा
गोरा-काला इक सोच रही
पत्थर होता सुरख़ाब यहाँ
दिग्गज बन जाते रेत यहीं।
</poem>
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