जी हाँ, लिख रहा हूँ ...
बहुत कुछ ! बहोत बहोत !!
ढ़ेर ढ़ेर ढेर ढेर सा लिख रहा हूँ !
मगर , आप उसे पढ़ नहीं
पाओगे ... देख नहीं सकोगे
आप भी मैं कहॉ पढ़ पाता हूँ
नियोन-राड पर उभरती पंक्तियों की
तरह वो अगले कि ही क्षण
गुम हो जाती हैं
चेतना के 'की-बोर्ड' पर वो बस