Changes

बाकी बच गया अण्डा / नागार्जुन

27 bytes added, 08:22, 30 दिसम्बर 2020
|रचनाकार=नागार्जुन
}}
{{KKPrasiddhRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूंखारखूँखारगोली खाकर एक मर गया,बाकी बाक़ी रह गये गए चार
चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीन
देश-निकाला मिला एक को, बाकी बाक़ी रह गये गए तीन
तीन पूत भारतमाता के, लड़ने लग गये गए वोअलग हो गया उधर एक, अब बाकी बाक़ी बच गये गए दो
दो बेटे भारतमाता के, छोड़ पुरानी टेक
चिपक गया है एक गद्दी से, बाकी बाक़ी बच गया एक
एक पूत भारतमाता का, कन्धे पर है झन्डाझण्डापुलिस पकड कर पकड़कर जेल ले गई, बाकी बच गया अंडाअण्डा
'''रचनाकाल : 1950
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,177
edits