गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सूनापन चहका-चहका / यश मालवीय
1 byte added
,
10:10, 1 जून 2010
पहली बरखा सावन की<br><br>
बरस-बरस
बरसे
हैं घन
बरसे
<br>
अब की भी घुमड़े बरसे<br>
लेकिन पिछली ऋतु जैसे<br>
Dr. Manoj Srivastav
635
edits