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Kavita Kosh से
उफ़्फ़! और आगे क्यों नहीं
अरे-रे-रे, रुक क्यों गए
ज़मीन पर आँखें गड़ाए क्यों खडे खड़े हो
हाँ, हाँ, कोशिश करो