Changes

उम्र / पंखुरी सिन्हा

22 bytes added, 11:04, 24 नवम्बर 2010
<Poem>
''' उम्र '''
 
जैसे सुबह उठकर कोई शीशे में देखे,
कि कुछ बाल कनपटी पर सफ़ेद हो गए हैं,