भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्वास प्यार केरोॅ नीव छेकै मजबूत / अनिल शंकर झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विश्वास प्यार केरोॅ नीव छेकै मजबूत
ई जों कमजोर छोॅ तेॅ प्यार केना पलथौ
केकरहो नै दान देलौ दान लेलौ सबसें ही
जिनगी में यहे कमी बार-बार खलथौ।
सागरोॅ ना आदमी के दिन छै विशाल बाबू,
एकरा पेॅ लाखो नाव सहज ही चलथौ।
प्यार एक फूल छेकै रचलौ विधाता हाथें
सींचला पे जोॅड़ पात फूल बनी हसथौ॥