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विश्व मनाएगा कल होली / हरिवंशराय बच्चन

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विश्व मनाएगा कल होली!

घूमेगा जग राह-राह में
आलिंगन की मधुर चाह में,
स्नेह सरसता से घट भरकर, ले अनुराग राग की झोली!
विश्व मनाएगा कल होली!

उर से कुछ उच्छवास उठेंगे,
चिर भूखे भुज पाश उठेंगे,
कंठों में आ रुक जाएगी मेरे करुण प्रणय की बोली!
विश्व मनाएगा कल होली!

आँसू की दो धार बहेगी,
दो-दो मुट्ठी राख उड़ेगी,
और अधिक चमकीला होगा जग का रंग, जगत की रोली!
विश्व मनाएगा कल होली!