Last modified on 6 अक्टूबर 2015, at 21:22

विषधर चंगुल से गया / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

विषधर चंगुल से गया, पीटी खूब लकीर।
किस मतलब का है सखे, चूक गया जो तीर॥
चूक गया जो तीर, लक्ष्य को भेद न पाया।
सूख गये जब खेत, गरजता सावन आया।
'ठकुरेला' कविराय, सभी शुभ लगे समय पर।
आता ऐसा काल, पूज्य हो जाता विषधर॥