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"वीर प्रतिज्ञा / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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सौ आफतें हों सामने,
 
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उजड़ा भले ही गेह हो।
 
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हो देश की जय ,भय नहीं,
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हमको जरा है क्लेश का।
 
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बाजी लगा कर प्राण की,
 
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हम साथ देंगे देश का।
 
हम साथ देंगे देश का।
 
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16:31, 5 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

चाह कुछ सुख की नहीं,
दुःख की नहीं परवाह है।
प्रिय देश के कल्याण की,
हमने गहि अब राह है।
हों क्यों न अंगारे बिछे,
मुँह जरा मोंड़ेगे नहीं।
मिट जायेंगे पर देश का,
अभिमान छोड़ेंगे नहीं।
खाली भले ही पेट हो,
नंगी भले ही देह हो।
सौ आफतें हों सामने,
उजड़ा भले ही गेह हो।
हो देश की जय, भय नहीं,
हमको जरा है क्लेश का।
बाजी लगा कर प्राण की,
हम साथ देंगे देश का।