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वीर शहीदों को प्रणाम / नवीन कुमार सिंह

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उन वीर शहीदों को प्रणाम, जो राष्ट्र तपोधन के समान
जिनका जीवन, जीवन समान, जिनका यौवन, यौवन समान

अपने घर के दीपक भेजें हैं, अमर ज्योति बन जाने को
आंगन का पौधा दे डाला, गुलशन की लाज बचाने को

उनके आंगन की मिट्टी भी, खुशबू देती मधुबन समान
उनका जीवन, जीवन समान, उनका यौवन, यौवन समान

यह खबर गाँव से आई थी, करनी बहन की बिदाई थी
फिर भी सरहद पर चला गया, तब लौट के अर्थी आई थी

उस बहना के आँसू छलके, गंगा जल के कण कण समान
उनका जीवन, जीवन समान, उनका यौवन, यौवन समान

हम सब के लिए जो मौन हुए मैं उनकी बात बताता हूँ
इन साँसों पर कर्जा जिनका मैं गीत उन्हीं के गाता हूँ

उनके पैरों के रज भी हैं, मेरे लिए चन्दन समान
उनका जीवन, जीवन समान, उनका यौवन, यौवन समान