Last modified on 29 दिसम्बर 2018, at 05:13

वीर सन्देश / पुरुषार्थवती देवी



उठो, उठो साहस से वीरो, मत मन में भय खाओ।
वीर वेष से सज्जित होकर, रण-प्रांगण में जाओ॥
प्रलयंकर संगीत समर की स्वर-लहरी में गाओ।
करधृत शुचि करवाल, अलंकृत होकर, फाग मचाओ॥
शौर्य-तेज से अपने जग में, विजय-ध्वजा फहराओ।
दुर्बल-दिल में साहस भर दो ताण्डव नृत्य नचाओ॥
सुप्त विश्व को जागृत कर शुचि वीर सँदेश सुनाओ।