Last modified on 2 फ़रवरी 2010, at 23:04

वेंटिलेशन / अरविन्द श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:04, 2 फ़रवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चिड़ियाँ बतिया रही थी
कि हमारे हँसी-खुशी के सुकोमल दिन
ख़त्म हो चले है

जी घबरा रहा है
इस सदी को देख कर
इस बीच हमारे कई परिजनों ने
धरती से अपना रिश्ता
तोड़ दिया है

हमारे लिए यह धरती
अब नहीं रह गयी निरापद

चिड़िया बतिया रही थी
बगैर किसी तामझाम के
बगैर किसी घोषणा-पत्र के

जीने की इस उम्मीद के साथ
कि बड़ी-बड़ी इमारतों में भी
रखी जाए
कम से कम
एक वेंटिलेशन !