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वेश्याएँ / राजकमल चौधरी

सड़कें ख़ाली हैं।
वे करती हैं इन्तज़ार ...

सड़कें, गलियाँ, बरामदे भर गए हैं,
फिर भी,
वे करती रहती हैं इन्तज़ार !

आवाज़ पहचानती हैं।
दर्द, वहशत, बीमारियाँ और
हविस उसकी — वे जानती हैं ।

सिर्फ़ नहीं उसका नाम...
उसका कोई नाम नहीं है, शायद !