भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
|संग्रह=अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKPrasiddhRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>नहीं जानती जो अपने को खिली हुई--<br>विश्व-विभव से मिली हुई,--<br>नहीं जानती सम्राज्ञी अपने को,--<br>नहीं कर सकीं सत्य कभी सपने को,<br>वे किसान की नयी बहू की आँखें<br>ज्यों हरीतिमा में बैठे दो विहग बन्द कर पाँखें;<br>वे केवल निर्जन के दिशाकाश की,<br>प्रियतम के प्राणों के पास-हास की,<br>भीरु पकड़ जाने को हैं दुनिया दुनियाँ के कर से--<br>बढ़े क्यों न वह पुलकित हो कैसे भी वर से।<br/poem><br> (कविता संग्रह, "अनामिका" से)
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,010
edits