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वे तो साला बेणोई दोई बागां में जाय / मालवी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

वे तो साला बेणोई दोई बागां में जाय
वे तो पाटे नी चाले
जमई जी ऊबट रस्ते जाय
जमई खे कांटो भाग्यो जाय
साला पूछे बेणोई अब कैसो हो बनी
साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी
वे तो साला बेणोई दोई दातण करने जाय
वे तो दातण नी तोड़े
जमई जी डाल मरोड़े जाय
जमई जी उलझया-उलझया जाय
साला पूछे बेणोई कैसी हो बणी
साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी
वे तो न्हाई नी जाये
जमई जी ऊँडा गीता खाय
साला पूछे बेणोई कैसी हो बणी
साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी
वे तो साला बेनाई दोई नीम वा ने जाय
वे तो जीयी नी जाय
जमई जी आखा लाडू खाय
साला पूछे बेणोई कैसी हो बणी
साला अब तो हमारा प्यारा जीव की पड़ी।