वो एक नज़र में मुझे पहचान गया है
जो बीती है दिल पर मेरे सब जान गया है
रहने लगा दिल उस के तसव्वुर से गुरेज़ाँ
वहशी है मगर मेरा कहा मान गया है
था साथ निभाने का यक़ीन उस की नज़र में
मह़फिल से मेरी उठ के जो अनजान गया है
औरों पर असर क्या हुआ उस होश-रूबा का
बस इतनी ख़बर है मेरा ईमान गया है
चेहरे पे मेरे दर्द की परछाईं जो देखी
बे-दर्द मेरे घर से परेशान गया है
इस भीड़ में ‘सरवत’ नज़र आने लगी तनहा
किस कूचे में तेरा दिल-ए-नादान गया ह