वो जिसके हाथ में छाले हैं, पैरों में बिवाई है ।
उसी के दम से रौनक़ आपके बँगलों में आई है ।
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का,
उधर लाखों में गाँधी जी के चेलों की कमाई है।
कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे ज़िना<ref>बलात्कार, व्याभिचार</ref> कर ले,
हमारा मुल्क इस माने में 'बुधुआ' की लुगाई है।
ये रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी,
कि जिसने जिस्म गिरवी रखके ये क़ीमत चुकाई है।
शब्दार्थ
<references/>