वो जो हर दम मिरे ख़याल में है
जाने किस पर्दा-ए-जमाल में है
चाहते हो तो टूट कर चाहो
ख़ुद जवाब आप के सवाल में है
हाँ मिरा फ़न कमाल को पहुँचा
ज़ीस्त लेकिन मिरी ज़वाल में है
फिक्र क्या सुर्ख़-रू हो या टूटे
दिल मिरा उन की देख-भाल में है
क्या ज़रूरी है हम जवाब ही दें
एक तल्वार चुप की ढाल में है
उन को फ़ुर्सत कहाँ जो ये सोचें
‘बानो’ इमसाल किस वबाल में है