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वो पेड़ जो टूटा है आँगन में वफाओं का / राकेश तैनगुरिया

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वो पेड़ जो टूटा है आँगन में वफाओं का
कुछ दोष हमारा है कुछ दोष हवाओं का

ये दौरे तरक्की भी क्या दौरे तरक्की है
या सिलसिला है केवल बेहूदी प्रथाओं का

बेटों को दुआएँ दे पहुँचाती हैं सरहद पर
रुतबा है बहुत ऊँचा इस देश में माँओं का

वो शख्स मरा था कल जो रेल की पटरी पर
मुट्ठी में मिला उसकी इक पर्चा दवाओं का

प्यासा मैं मर जाऊँ मंजूर मुझे लेकिन
अब बोझ नहीं उठता जलधर की अदाओं का