Last modified on 30 दिसम्बर 2017, at 15:10

वो मेरी रूह मसल देता है / संजू शब्दिता

वो मेरी रूह मसल देता है
साँस भी लूँ तो दख़ल देता है

इससे पहले कि मैं कुछ कह पाऊँ
ख़ुद के अल्फाज़ बदल देता है

मैं तो देती हूँ दुआएं उसको
एक वो है कि अज़ल देता है

उसको मालूम नहीं ग़म में भी
वो मुझे रोज़ ग़ज़ल देता है