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वो मेरी शख्सियत पर छा गया तो / वीनस केसरी

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वो मेरी शख्सियत पर छा गया तो।
ये सपना है, मगर जो सच हुआ तो।

दिखा है झूठ में कुछ फ़ाइदा तो।
मगर मैं खुद से ही टकरा गया तो।

मुझे सच से मुहब्बत है, ये सच है,
पर उनका झूठ भी अच्छा लगा तो।

शराफत का तकाज़ा तो यही है,
रहें चुप सुन लिया कुछ अनकहा तो।

करूँगा मन्अ कैसे फिर उसे मैं,
दिया अपना जो उसने वास्ता तो।

रहीम इस बार तो 'कुट्टी' न होना,
अगर मैं राम से 'मिल्ली' हुआ तो।

रकीबों में वो गिनता है मुझे और,
  गले भी लग गया मुझसे मिला तो।

वो रहमत कर रहे हैं सिर्फ मुझ पर,
कहीं दिल कहर ढाने का हुआ तो।

हमें बस शायरी का शौक है, पर,
यही इक शौक भारी पड़ गया तो।

वो मानेगा मेरी बातें, ये सच है,
करेगा दिल की ही ज़िद पर अड़ा तो।

जरूरत से जियादः टोकते हैं,
कोई दिखला गया गर आईना तो।

बने हो यूँ तो आतिशदान 'वीनस',
डरे भी हो धुँआ उठने लगा तो।