भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वो मेरे पास है क्या पास बुलाऊँ उसको / शहजाद अहमद
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:16, 19 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शहजाद अहमद |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पन्ना बनाया)
वो मेरे पास है क्या पास बुलाऊँ उसको
दिल में रहता है कहाँ ढूंढने जाऊँ उसको
आज फिर पहली मुलाकात से आगाज़ करूँ
आज फिर दूर से ही देखकर आऊँ उसको
चलना चाहे तो रखे पाँव मेरे सीने पर
बैठना चाहे तो आँखों पे बिठाऊँ उसको
वो मुझे इतना सुबुक इतना सुबुक लगता है
कभी गिर जाये तो पलकों से उठाऊँ उसको
सुबुक=नाज़ुक