भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वो सब क़िस्से वो सब फ़रियाद भी देखा करेंगे / प्रणव मिश्र 'तेजस'

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:30, 9 सितम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रणव मिश्र 'तेजस' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वो सब क़िस्से वो सब फ़रियाद भी देखा करेंगे
तुम्हारा ख़त तुम्हारे बाद भी देखा करेंगे

चुरा रक्खेंगे कुछ लम्हें किसी सन्दूक में हम
ज़रा ख़ुद को कभी आबाद भी देखा करेंगे

ख़ुशी होगी कभी जब ट्रेन या बस में दिखोगी
बिछड़ कर तुमको हम आज़ाद भी देखा करेंगे

तुम्हारे दिल से होंठो तक अभी दुनिया है मेरी
हुए पत्थर तो हर उफ़्ताद भी देखा करेंगे

ये जो कहती हो तुम फ़रहाद ऐसा मीर वैसा
कल इनके हिज्र की बुनियाद भी देखा करेंगे