Last modified on 6 फ़रवरी 2021, at 00:22

वो सुबह / राजेश कमल

मैं नहीं जानता कब आएगी वह सुबह
जो दरसल सुबह जैसी होगी
दिल के दौरे नहीं आएँगे
चाय की प्याली आएगी
दोस्तों के फ़ोन आएँगे
और फ़ोन पर बातें होंगी आनेवाले प्रेमपत्रों के बारे में
फ़ोन पर बातें होंगी उन दुश्मनों के बारे में
जो कभी दोस्त थे

जब शब्दकोश में सुख का विलोम भी सुख होगा
जब नहीं होगा सांपों को विष
और कुत्ते को दुम
और
जब दवा की दुकानों में नींद की गोलियों की जगह
मिलेंगे समोसे