Last modified on 19 जुलाई 2010, at 22:57

शकीरा का वाका वाका / कुमार सुरेश

Kumar suresh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:57, 19 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: == शकीरा का वाका वाका <poem>गुज़रती जा रही हो भिगोती हुई पानी की तेज ल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

== शकीरा का वाका वाका

गुज़रती जा रही हो
भिगोती हुई
पानी की तेज लहर

रह रह कर
लगातार प्रज्वलित होती हुई
एक आग

सीसे को काटती हो
शहद की धार
ऐसी आवाज

अल्हड किशोरी का
छलकता हो आनंद
ऐसा नृत्य

बारिश का हो इंतजार
छमाछम बरसे
अचानक

सोंदर्य की देवी
आ गयी हो
मूर्ति से बाहर

इश्वर को कहा जाता है
पूर्ण एश्वर्य
तब लगा वह अपने स्त्री रूप में
प्रगट हुआ है

जब शकीरा ने
वाका वाका किवा

देखो
दावों को झुठलाते हुए
झलका है वह
अन्जान देश की लड़की
शकीरा में

==