भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शत्रु / सूरज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मित्रता
जीने के आसान
से आसान हथियारों में से एक है ।

जीवन भी कैसा / कनेर की जामुनी टहनी / भारहीन गदा
भाँजते रहो
आदर्श-मित्रता कितनी सुखद रही होगी, कल्पनाओं में
कैसा घुटा-जीवन बिताया होगा मित्रता की मिसालों ने
छोड़ देना प्रेमिका अपने मित्र के लिए, त्यागना प्रेम
(अपनी असफलता को ऐसा नाम देना)
माफ़ है
कि मरे हुए को कितनी बार मारोगे
मित्र के साथ
मित्र के लिए
विचार से जाना अपराध
है, चालू जीवन का शिल्प भी

मेरा शानदार दुश्मन खींचता है मुझे
विचारों के दोराहे तक, पैमाना है मेरा
मेरा शत्रु इतना ताक़तवर जो पहुँचा आता
मुझे निर्णय के साफ़ मुहाने तक

जिनसे जूझता मैं आगे ही आगे
हर शत्रु मेरा सगा
हर निर्णय मेरा अपना ।