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शबे हिज्र को तुम हवा तो न दोगे / रंजना वर्मा

शबे हिज्र को तुम हवा तो न दोगे
कभी जिंदगी में भुला तो न दोगे

सजाया है तुम ने तबस्सुम लबों पे
किसी मोड़ पर अब रुला तो न दोगे

बड़ी देर से हो समन्दर किनारे
मेरा नाम लिख कर मिटा तो न दोगे

किसी गैर की ज़ुल्फ़ में तुम उलझ कर
मुझे अपने दिल से हटा तो न दोगे

तुम्हारे बिना हम अगर जी न पायें
हमें जिंदगी की दुआ तो न दोगे

है महबूब हमको मुहब्बत तुम्हारी
कहीं ख़्वाब मेरे मिटा तो न दोगे

बड़ा बेमुरव्वत जमाना है साथी
कहीं दुश्मनी तुम बढ़ा तो न दोगे

चले थाम कर हाथ हम हैं तुम्हारा
कहीं रास्ते मे गिरा तो न दोगे

बहारें कभी चूम लें आ के दामन
हमे बेखुदी का सिला तो न दोगे