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"शब्द-माफ़िया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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इनके टोल बैरियर
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नहीं झुकाया जिसने भी सर
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उसका ख़त्म कैरियर
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सर फूटेगा इनसे लड़कर
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शब्दों की कालाबाजारी से
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इनके घर चलते
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बचे खुचे शब्दों से
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चेलों के चूल्हे हैं जलते
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बाकी सब कुछ करना चाहें
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तो फूँकें घर
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नशा बुरा है सम्मानों का
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छोड़ सको तो छोड़ो
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बने बनाए रस्तों से
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मुँह मोड़ सको तो मोड़ो
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वरना पहनो इनका पट्टा
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तुम भी जाकर
 
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09:57, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

शब्द-माफ़िया करें उगाही
क़दम-क़दम पर

सम्मानों की सब सड़कों पे
इनके टोल बैरियर
नहीं झुकाया जिसने भी सर
उसका ख़त्म कैरियर

पत्थर हैं ये
सर फूटेगा इनसे लड़कर

शब्दों की कालाबाजारी से
इनके घर चलते
बचे खुचे शब्दों से
चेलों के चूल्हे हैं जलते

बाकी सब कुछ करना चाहें
तो फूँकें घर

नशा बुरा है सम्मानों का
छोड़ सको तो छोड़ो
बने बनाए रस्तों से
मुँह मोड़ सको तो मोड़ो

वरना पहनो इनका पट्टा
तुम भी जाकर