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शब्द पिजाबोॅ / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो

शब्द पिजाबोॅ, शब्द पिजाबोॅ
शब्द-शब्द पर धार चढ़ाबोॅ!

परत-परत जमलोॅ अन्हार केॅ काटेॅ
किरण-किरण सौंसे समाज केॅ बाँटेॅ
आँटेॅ जतना सुख अँजुरी में
जन-जन केॅ उपहार बढ़ाबोॅ!

एक साथ बोले-चाले सब, गूढ़ मरम केॅ जानेॅ
भरम भूलि सच के रौदी में अपना केॅ पहचानेॅ
सूपोॅ सें निछड़ी केॅ खँखरी
बस निट्ठा इन्सान बचाबोॅ!

जाग ई विश्वास कि जीवन छलना नै, माया नै
एक सत्य गतिमय ऊर्जामय; सपना नै छाया नै
मुट्ठी में तकदीर, समय हाथोॅ के कथा कहैया
बेधी-बेधी चिनगारी सें जड़ में चेतनता उपजाबोॅ!