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शराबी की सूक्तियाँ-21-30 / कृष्ण कल्पित

इक्कीस

सबने लिक्खा -- वली दक्कनी
सबने लिक्खे -- मृतकों के बयान
किसी ने नहीं लिखा
वहाँ पर थी शराब पीने पर पाबन्दी
शराबियों से वहाँ
अपराधियों का सा सलूक किया जाता था।

बाईस

शराबी के पास
नहीं पाई जाती शराब
हत्यारे के पास जैसे
नहीं पाया जाता हथियार।

तेईस

शराबी पैदाइशी होता है
उसे बनाया नहीं जा सकता।

चौबीस

एक महफ़िल में
कभी नहीं होते
दो शराबी।

पच्चीस

शराबी नहीं पूछता किसी से
रास्ता शराबघर का।

छब्बीस

महाकवि की तरह
महाशराबी कुछ नहीं होता।

सत्ताईस

पुरस्कृत शराबियों के पास
बचे हैं सिर्फ़ पीतल के तमगे
उपेक्षित शराबियों के पास
अभी भी बची है
थोड़ी-सी शराब।

अट्ठाईस

दिल्ली के शराबी को
कौतुक से देखता है
पूरब का शराबी

पूरब के शराबी को
कुछ नहीं समझता
धुर पूरब का शराबी।

उनतीस

शराबी से नहीं लिया जा सकता
बच्चों को डराने का काम।

तीस

कविता का भी बन चला है अब
छोटा मोटा बाज़ार

सिर्फ़ शराब पीना ही बचा है अब
स्वान्तः सुखाय कर्म।