भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शाकुंतलम / के० सच्चिदानंदन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
  
 
<Poem>
 
<Poem>
हर प्रेमी अभिषप्त है
+
हर प्रेमी अभिशप्त है
 
भूल जाने को, कम से कम कुछ देर के लिए
 
भूल जाने को, कम से कम कुछ देर के लिए
 
अपनी स्त्री को : जैसे विस्मरण की नदी
 
अपनी स्त्री को : जैसे विस्मरण की नदी

12:57, 14 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

हर प्रेमी अभिशप्त है
भूल जाने को, कम से कम कुछ देर के लिए
अपनी स्त्री को : जैसे विस्मरण की नदी
अपने ही प्यार पर बाढ़ ला दे

हर प्रेमिका अभिशप्त है
तब तक भुला दिए जाने को जब तक उसका रहस्य
स्मृति के जाल में फँस नहीं जाता

प्रत्येक शिशु अभिशप्त है
पितृहीन बड़ा होने को
शेर के मुँह में अपना हाथ डालकर


मूल मलयालम से स्वयं कवि द्वारा अंग्रेजी में अनूदित. अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद: व्योमेश शुक्ल