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शापित रक्तबीज / लक्ष्मीनारायण रंगा

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म्है
स्टेनलैस स्टील जुग रा हां,
म्हारां गुण निराळा है-
म्है नित
चमकता-चिलकता दिखां
इण चमक लारै
काळै-धोळै नै
लुकालां,
म्है चिकणा-तिस्ळणां हां कै
दाग कै छांट
म्हा पर टिक ई नीं सकै,
म्है
हर कंळक-भूंड नै
संकर भगवान दांई
मुळकता-हंसता
लोक हित में
पी जावां

म्है स्टेनलैस
प्रेसर कूकर दाई हां
जिण मांय
सो कंई पच जावै
लकड़ पत्थर
सै
हजम
म्हारी भूख इसी कै
देखतां देखतां
बडा लोठां पुळ डकार जावां
लाम्बी मोटी सड़कां गिटक जावां
डीगा डम्बर भवन निगळ जावां
बड़ी मोटी योजनावां जीम जावां
देस-सीमावां सै बैच खांवां,
म्हारी तिरस इसी कै
संसद-संविधान नै,
न्याव-धरम नै
प्रान्त-राजा नै
आंख्यां मींच
अणछाण्यै पाणी दाई पी जावां
म्हानैं
मिल्यो है इसो बरदान कै
जिण माथै म्है हाथ राख दां
बो ही स्वाहा
गेहूं-चीणीं स्वाहा
घासलेट-पैट्रोल स्वाहा
सिमन्ट-लोहो स्वाहा
राज-राजनिति स्वाहा
भासा-साहित्य स्वाहा
कला-ब्यौपार स्वाहा
सभ्यता-संस्कृति स्वाहा
नीति-नैतिकता स्वाहा
मिनख-मानखो स्वाहा
स्वाहा
म्है
इसा चमत्कारी बिधाता हां कै
काळै नै धोळो
गधे नै घोड़ो
अभिनेता नैं नेता
पापी नैं धरमी
अग्यानी नै ग्यानी
बणावणों
म्हारै डावै हाथ रो खेल है

म्है चुटकी बजा‘र
टाटवाळै नै खादी
भगवां नै धोळा
हरां नै लाल
गाभा बदळवा दां
चावां जणै
भलां भलां नैं
नागां करदां

म्हैं
अंगूठा दास नै
महाकवि काळिदास अर
महारिसी बालमीकि नैं
महामूरखानन्द बणा नाखां
म्है
हत्या नै आत्महत्या
आत्महत्या नै खून
धरम नै सम्प्रदाय
दंग नै धंधो
जाति नै पांति
रोट नै बोट
बोट नै नोट बणा दां

म्है
इसा नियामक हां कै
बौलदां बो कानून है
करदां बो कायदो है
म्है चावां उणानै
नचा नाखां
नाकां चिणां चबा नाखां

म्है हां रक्त बीज!
जठै म्हारै थूक री लाळ पड़ जाय
काळाबजारी-तस्करी
चोरी, डकैती, हत्या
अन्याव-अत्याचार
नुवां नुवां रक्तबीज जीवण बधा
दिन दूणां रात चौगणां
बधता जासां कै
म्है इण देस नै
रक्त-बीज देस बणा‘र ही दम लेवां

म्हैं स्टेनलेस जुग रा हां
म्हारा गुण निराळा है,
पण
सराप एक भोगां हां‘क
म्हारै मूंढै जड़्योड़ा ताळा है