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शाम उतरी है जगाओ पीरे-उम्रे-दराज़ को / रवि सिन्हा

शाम उतरी है जगाओ पीरे-उम्रे-दराज़<ref>लम्बी उम्र का वृद्ध व्यक्ति (An Old Man)</ref> को
ख़िरद<ref>बुद्धि (Reason)</ref> का ताइर<ref>पक्षी (Bird)</ref> वहाँ तैयार है परवाज़<ref>उड़ान (Flight)</ref> को

वक़्त जब पैदा हुआ था नुक़्ते में थी कायनात
कहकशाँ<ref>आकाशगंगा (Milky Way; Galaxy)</ref> के तुख़्म<ref>बीज (Seeds)</ref> हासिल थे दमे-एजाज़<ref>चमत्कारिक क्षण (Miraculous moment)</ref> को

वुस'अते-आलम<ref>सृष्टि का विस्तार (Expanse of the Universe)</ref> बहुत इम्काने-हस्ती<ref>अस्तित्व में निहित संभावनाएं (Potentials within existence)</ref> बेहिसाब
क्या शिकायत कीजिये फिर ज़ीस्त<ref>जीवन (Life)</ref> के ईजाज़<ref> संक्षिप्त होना (Brevity)</ref> को

मुनफ़रिद<ref>अद्वितीय (Unique)</ref> औलाद है क़ुदरत की औ तहज़ीब की
जो क़बीले जज़्ब कर लें फ़र्द<ref>व्यक्ति (Individual)</ref> के एज़ाज़<ref>माहात्म्य (Greatness)</ref> को

क्यूँ तख़य्युल<ref>कल्पना (Imagination)</ref> हो असीरे-ख़ाक<ref>मिट्टी में क़ैद (Imprisoned in the soil)</ref> सुन ऐ ख़ाकज़ाद<ref>मिट्टी से उत्पन्न (Born of the soil)</ref>
दे बुलन्दी ख़ल्क़<ref>सृष्टि, लोग (Creation, People)</ref> में तख़्लीक़<ref>रचना, सृजन (Creation)</ref> की आवाज़ को

सुख़नवर<ref>साहित्यकार (Writer)</ref> बेआबरू होकर गया है बज़्म से
कुछ तसल्ली तो हुई तन्क़ीद<ref>आलोचना (Critique)</ref> के शहबाज़<ref>बहादुर, बाज़ पक्षी (Brave, Eagle)</ref> को

वो जदीदी<ref>आधुनिक (Modern)</ref> दौर में कुछ यूँ सुख़न करते रहे
खेंच देते थे ख़ला <ref>शून्य (Nothingness)</ref>पर पर्दा-ए-अल्फ़ाज़<ref>शब्दों की चादर (Curtain of words)</ref> को

नक़्श-ए-ता'मीर<ref>संरचना का नक़्शा (Blueprint of the structure)</ref> अब फिर से बनाना चाहिए
गर ज़माना सुन रहा है बस ज़माना-साज़<ref>धूर्त, व्यावहारिक (Cunning, Practical)</ref> को

छीन लेता है निवाला दहने-मुफ़लिस<ref>ग़रीब का मुँह (Poor man's mouth)</ref> से ख़ुदा
मालो-ज़र<ref>धन दौलत (Wealth)</ref> देता है वो इस दौर में मरताज़<ref>सन्यासी, बैरागी (Ascetic)</ref> को

हाल ये जम्हूरियत का हो गया हर मुल्क में
अब सियासत दे बढ़ावा ख़ल्क़ के अमराज़<ref>रोगों (Diseases)</ref> को

लाज़िमी है के कहीं पर ख़त्म हो गुफ़्तो-शुनीद<ref>कहना-सुनना (Interaction, speaking and listening)</ref>
गरचे मक़्ता<ref>आख़िरी शेर (Last couplet)</ref> ये मचलता है नए आग़ाज़<ref>शुरुआत (Beginning)</ref> को

शब्दार्थ
<references/>