http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87_%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87_%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C_%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_/_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%AF_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0&feed=atom&action=historyशाम के पहले बहुत पहले हुआ सूरज हलाल / विनय कुमार - अवतरण इतिहास2024-03-28T17:04:53Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AE_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87_%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87_%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%86_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C_%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_/_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%AF_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0&diff=25770&oldid=prevPratishtha: New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय कुमार |संग्रह=क़र्जे़ तहज़ीब एक दुनिया है / विनय क...2008-07-29T13:14:46Z<p>New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय कुमार |संग्रह=क़र्जे़ तहज़ीब एक दुनिया है / विनय क...</p>
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|रचनाकार=विनय कुमार<br />
|संग्रह=क़र्जे़ तहज़ीब एक दुनिया है / विनय कुमार<br />
}}<br />
[[Category:ग़ज़ल]]<br />
शाम के पहले बहुत पहले हुआ सूरज हलाल।<BR><BR><br />
रात से ज़्यादा बड़ा है सुबहे फ़रदा का सवाल।<BR><BR><br />
<br />
फ़ैसले की बात है तो राय मेरी पूछ ले<br />
आदमी हूँ, यार सिक्क़ों की तरह तो मत उछाल।<BR><BR><br />
<br />
इस चमक में आग भी है जल न जाए तू कहीं<br />
खुश बहुत है तू अगर तो आँख से आँसू निकाल।<BR><BR><br />
<br />
रोशनी का जुर्म है मुजरिम नहीं है दीदवर<br />
खींच सकता है अगर तो रोशनी की खींच खाल।<BR><BR><br />
<br />
आईना है तू शहर के लोग है ख़ुद आषना।<BR><BR><br />
मुतमइन रह लोग कर देंगे तुम्हारी देखभाल।<BR><BR><br />
<br />
रोशनी में जो खड़े हैं रोशनी उनसे नहीं<br />
रोशनी जिनसे पड़े हैं वे अंधेरे में निढाल।<BR><BR><br />
<br />
सब मरेंगे सेब, सपने, चांद, पानी और तू<br />
कश्तियाँ अपनी जलाकर झील को अब मत उबाल।<BR><BR><br />
<br />
रुक सकेंगे ये परिंदे सिर्फ दो हालात में<br />
आसमां को मूँद दे या पंख इनके काट डाल।<BR><BR></div>Pratishtha