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शाम जब पीने को बैठे याद तेरी आ गई / मोहम्मद इरशाद


शाम जब पीने को बैठे याद तेरी आ गई
जख़्मे दिल सीने को बैठे याद तेरी आ गई

भूलना तुझ को जो चाहा खो के अपने आप में
ख़ुद से हम मिलने को बैठे याद तेरी आ गई

हमने सोचा मौत को यूँ मात दे देंगे अभी
चाल जब चलने को बैठे याद तेरी आ गई

जब किसी हमदर्द ने पूछा कहो क्या हाल है
हाले दिल कहने को बैठे याद तेरी आ गई

देख ले ‘इरशाद’ मैं तेरे बिना पल-पल मरा
बिन तेरे जीने को बैठे याद तेरी आ गई