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"शाम ढले घर आने जाने लगते हैं / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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07:32, 14 जून 2019 के समय का अवतरण

शाम ढले घर आने जाने लगते हैं
याद के पंछी शोर मचाने लगते हैं

सच्चाई जब हम को मुजरिम ठहराये
आईनों पर हम झुंझलाने लगते हैं

मजबूरी जब होंटों को सी देती है
आँसू दिल का दर्द बताने लगते हैं

ख़ुशहाली का बस एलान किया जाए
घर में रिश्ते आने जाने लगते हैं