Last modified on 8 फ़रवरी 2016, at 11:55

शाश्वत सत्य / पल्लवी मिश्रा

जिन्दगी में कुछ पाने के लिए खोना भी जरूरी है।
जिन्दगी में मुस्कुराने के लिए रोना भी जरूरी है।
तुमने तो देखा है कलियों को
सदा मुस्कुराते हुए-
काँटों के बीच रहकर भी
हँसते हुए, खिलखिलाते हुए-
शायद तुमने देखा नहीं
अश्क उनकी आँखों में-
भोर के वक्त क्या नहीं रहतीं?
ओस की बूँदें उनकी पाँखों पे-
ये बूँदें ही उनकी आँखों का पानी हैं
आँसू पी पीकर मुस्कुराना
यही उनकी कहानी है।

तुम तो चाहते हो
अपनी झोली को
भरते ही रहना सदा
जिधर से भी हो, जहाँ से भी हो
लेकिन इक पात्र में
ले पाओगे जल
उतना ही
सागर से लो या कुआँ से ही लो
अगर कुछ और पाने की चाहत है
कुछ चीजें तुम्हें गँवानी होंगी,
आखिर कुछ भी रखने को
झोली में जगह बनानी होगी।

इसलिए ऐ दोस्त मेरे,
रख याद सदा, मेरा ये कहा-
जिन्दगी में मुस्कुराने के लिए रोना भी जरूरी है।
जिन्दगी में कुछ पाने के लिए खोना भी जरूरी है।