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शिखरों पर लोग / सुभाष नीरव

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जो कटे नहीं

अपनी ज़मीन से

शिखरों को छूने के बाद भी

गिरने का भय

उन्हें कभी नहीं रहा।


जिन्होंने छोड़ दी

अपनी ज़मीन

शिखरों की चाह में

वे गिरे

तो ऐसे गिरे

न शिखरों के रहे

न ज़मीन के।