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शिव जी हीरो बनोॅ हो-25 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

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दादरा

सबेरे चल्लोॅ जइहोॅ जी रात भरी रहिहोॅ
रात भरी रहिहोॅ पिया रात भरी रहिहोॅ
चमकैछै बिजुरी बरसैछै बदरी
धड़कैछै मोर छतिया रात भरी रहिहोॅ
सूनी सेजरिया बारी उमिरिया
छोड़ी कॅ नहीं जइहोॅ जी रात भरी रहिहोॅ
बारह बरस पर पियाा तोहें अइल्हॅ
लगाय कॅ जी छतिया रात भरी रहिहोॅ।।

झूमर-दादरा

बलमा छै लभार बलमा छै लभार
सैयां बेदरदा नै अइलै।।
सांझों नै अइलै जी रातीं नै अइलै
कानी कानी काटैछी रात सैयां बेदरदा नै अइलै।।
केकरा सें कहबै जी दुःखोॅ के बतिया
विरहा के आगिन फूंकैछै छतिया
सावन के अइले बहार सैयां बेदरदा नै अइलै।।
पीन्हीं ओढ़ी सखि सब झूलैछै झुलवा
छम छम छम छम नाचैछै मोरवा
पपिहा करैछै पुकार बलमा बेदरदा नै अइलै।।

झूमर-कहरवा

सैयां लानी दॅ चुनरिया हे चुनरिया ना
अहे चमकीली चटकीली लाली चुनरिया ना।।
ढाका सें मलमल के अंगिया मंगाय दॅ हे
हाथोॅ लॅ सोना के कंगनियाँ ना।।
माथा लॅ मंगटीका हे गल्ला मोती माला
नाकोॅ लॅ सोना कॅ बेसरिया ना।।
पीन्हीं ओढ़ी कॅ जबॅ चलबै बजरिया हे
जरी जइतै देखी कॅ सौतिनियाँ ना।।