भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-28 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:57, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानन्द चौधरी 'लाल' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उपदेश-दादरा

मानोॅ तों कहना हमार मोर बाबू
सीखोॅ तों पच्छिम के चाल मोर बाबू।।
दूधोॅ के शर्बत के दिन आबॅ गेलै
पीयोॅ बरांडी उधार मोर बाबू।।
घोॅर मत देखोॅ सिनेमा कॅ देखोॅ
सिनेमा सें हीथौं उद्धार मोर बाबू।।
पैसा धरम छेकै पैसा करम छेकै
पैसा के छै दरकार मोर बाबू।।
धोती पैजामा सें काम नहीं चलथौं
पैन्टोॅ के करोॅ बेबहार मोर बाबू।।
होटल में भोजन के चाय जलपान के
जल्दी करोॅ तों ठहार मोर बाबू।।
खाय लॅ जी घरोॅ में कभी मत माँगिहोॅ
बैठी कॅ करोॅ इन्तजार मोर बाबू।।
बूढ़ा के बूढ़ी के साथ मत रहिहोॅ
राख भॅ तॅ करथौं कचार मोर बाबू।।
सेवा करै के केकरा छै फुर्सत
आपन्है करी लॅ सम्हार मोर बाबू।।
छोटका बड़का सब सें सम्हारी कॅ बोलिहोॅ
उतरहौं नै इज्जत तोहार मोर बाबू।।
नया जमाना के नया रे तरीका
जल्दी करोॅ अख्तियार मोर बाबू।।