भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-46 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोहर

सासूजी आबे हम्में होलां होरिला के मैया
होरिला के मैया सासू बबुआ के मैया
आगूं आगूं ननदी चलतै पीछू ननदोइया
तेकरा पीछूं हम्मेॅ चलबै सबसें पीछूं सैयां
ननदी हमरी टिकरी खइतै पेंड़ा ननदोइया
हम्में खाली पान चिबैबै सिट्टी खइतै सैयां
ननदी हमरी हाकी खेलतै फुटबाल ननदोइया
हम्में तेॅ जी टेनिस खेलबै गेंद उठैते सैयां
सब कोय हमरे सेवा करतै सास ससुर ननदोइया
हम्में पलंग पर सुतली रहबै गोड़ दबैतै सैयां।।

सोहर

दुपहर राती उइलै दरदिया हे
मेया देवकी केॅ भेलै कन्हैया हे
सांवरी सुरतिया मोहनी मुरतिया
त्रिभुवन पतिया कन्हैया हे।। मैया देवकी.।।
सुतलै पहरुआ खुललै फटकवा
खुली गेलै हथकड़िया बेड़िया हे
गोदीं उठाय बसुदेव जी चललै
गोकुल नगरिया कन्हैया हे
भादोॅ के रतिया घोर रे अंधरिया
टिपिर टिपिर पड़ै छेलै पनिया हे
शेष नाग फनवाँ सें छांह करि चलखै
संगे संग गोकुल नगरिया हे
कंसोॅ के सभ्भे जतन भेलै बिरथा
बची गेलै कुंवर कन्हैया हे।।