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शिव जी हीरो बनोॅ हो-57 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

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कोभरोॅ

सास ससुर दोनों ऐंगना में ठाढ़
अभी नै अभी नै जी दीया बातीं वेरियां अइहोॅ
अभी नै अभी नै जी तों पहर रातीं अइहोॅ
अभी नै अभी नै जी लुकी छिपी तोहें अइहोॅ
छोटकी ननद मोरी जहरोॅ के पुड़िया
तों छोटकी ननदिय, सें बची बची अइहोॅ
रसिया देबरवा रहीछै पीछूं लागलोॅ
बलमूं तोहें हमरा छोड़ो केॅ नहीं जइहो
भादोॅ के रतिया के घोर रे अंधरिया
लगाय केॅ जी छतिया तों रात भरी रहिहोॅ।

कोभरोॅ

मनि मानिक थंभ चहूं दिसी चमकये
चहुं दिसि चंडक पुरावये हे
अहे चहुं दिसि झलमल दीप के जोती
गीत गायनि सब गावये हे
चहुं दिसि बजये आनन्द बधावा
जनकपुर हरस मनावये हे
बहे आजु सिया के सोहाग के रातीं
सिया राम कोहबर सूतये हे
कोमल कलि सम सिय सुकुमारी
नील सरोरुह रामजी हे
अहे रतन पलंग पर मदन मनोहर
राम सिय संग हुलसये हे
चहुं दिसि बजये अनन्द बधावां
जनकपुर हरस मनावये हे
अहे आजु सिया के सोहाग के रातीं
सिया राम कोहबर सूतये हे।।