Last modified on 23 जनवरी 2015, at 17:15

शिव शकर चले कैलाश / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

शिव शंकर चले कैलाश,
बुंदियां पड़न लगीं
कौना ने बो दई हरी-हरी मेहंदी
कौना ने बो दई भांग, बुंदियां पड़न लगी।।
गौरा ने बो दई हरी-हरी मेहंदी
भोला शंकर ने बो दई भांग। बुंदियां...
कौना ने बांटी हरी-हरी मेहंदी,
कौना ने बांटी भांग। बुंदियां...
गौरा ने बांटी हरी-हरी मेहंदी,
शंकर ने बांटी भांग। बुंदियां...
कौना रचाई हरी-हरी मेहंदी,
कौना ने पी लई भांग। बुंदियां...
गौरा के रच गई हरी-हरी मेहंदी,
शिवशंकर ने पी लई भांग। बुंदियां...
भोला शंकर को चढ़ गई भांग, बुंदियां...