Last modified on 1 अप्रैल 2011, at 01:00

शिशिर ने पहन लिया / अज्ञेय

शिशिर ने पहन लिया वसंत का दुकूल
गंध बन उड़ रहा पराग धूल झूल
काँटे का किरीट धारे बने देवदूत
पीत वसन दमक उठे तिरस्कृत बबूल
अरे! ऋतुराज आ गया।