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शीरी फ़रहाद / अरमानों की बस्ती में

रचनाकार: ??                 

अरमानों की बस्ती में हम आग लगा बैठे

ऐ दिल! तेरी दुनिया को हम लुटा बैठे।।
जब से तुम्हें पहलू में हम अपने बसा बैठे।

दिल हमको गवाँ बैठा, हम दिल को गवाँ बैठे।।
पानी में बहा देंगे घड़ियाँ तेरी फुरकत की।

हम आँखों के परदों में सावन को छुपा बैठे।।