भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शुभे ! यदि आपको मुझसे कहीं फिर प्यार हो जाए / चेतन दुबे 'अनिल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शुभे ! यदि आपको मुझसे कहीं फिर प्यार हो जाए।
तो सच मानो कि बेडा जिन्दगी का पार हो जाए।

तुम्हारे प्यार की मदिरा पिए हूँ मैं मेरी जानम !
नशे में ना किसी से फिर कहीं तकरार हो जाए।

ये मुमकिन हो नहीं सकता कि तुम फिर लौटकर आओ
अगर ऐसा करो तो जिन्दगी गुलजार हो जाए।

तेरी तस्वीर आँखों में, लबों पर नाम है तेरा
यही डर है कि मेरा दिल न फिर बीमार हो जाए।

करेगा कौन क्या उसका कोई मुझको ये बतलाए
किसी को जब किसी की नफरतों से प्यार हो जाए।

तू उसकी याद में इतना तडप मत ए दिले नादाँ
कि अश्कों की यही धारा जमुन - जलधार हो जाए।

तुम्हारे प्यार की तासीर में बेचैन मेरा दिल
कहीं ऐसा न हो दिलबर कि गुल ही खार हो जाए।

तुम्ही थी जिसने मेरी जिन्दगी को रोशनी दी थी
अगर नजरे - करम कर दो तो तम नीहार हो जाए।

तुम्हारे प्यार की खातिर लुटा दी जिन्दगी अपनी
यही ख्वाहिश रही दिल में तेरा दीदार हो जाए।